White «...दर्द-ए-दिल...»
तेरे बिना जिंदगी अधूरी सी लगती है,
हर खुशी अब मुझे मजबूरी सी लगती है।
सपने जो देखे थे, टूट गए वो सारे,
अब तो बस तन्हाई मेरी जरूरत सी लगती है।
चाहत थी तेरी, जो कभी मुकम्मल न हुई,
आंखों से बहती ये बारिश कभी कमल न हुई।
दिल से तुझे भूलने की कोशिश बहुत की,
पर ये जख्म कभी भी नासूर न हुई।
रिश्तों की दुनिया में धोखे ही मिले,
हर मोड़ पर अपनी किस्मत के सिलसिले।
सोचा था, तू ही होगा मेरे गमों का सहारा,
पर तूने ही बनाया मुझे दर्द का किनारा।
काश ये दिल पत्थर का होता,
ना किसी के झूठे वादों से टूटता।
पर शायद प्यार का यही दस्तूर है,
जहां मोहब्बत, वहां जख्म भरपूर है।
अब तो बस खुद से दोस्ती कर ली है,
जिंदगी को यूं ही समझौते में ढाल ली है।
तेरे बिना भी जीना सीख लिया मैंने,
पर दिल के कोने में तेरा एक हिस्सा छोड़ दिया मैंने।
💔
©Ak.writer_2.0
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