क्या क्या मेरा मेरे दिलदार लौटा पाओगे तुम दिल्लगी | हिंदी शायरी

"क्या क्या मेरा मेरे दिलदार लौटा पाओगे तुम दिल्लगी का शिकार मेरी हार लौटा पाओगे तुम मुद्द्त हुई लौटे हो 'मुझे भूल जाओ' कहने को मेरा बरसों का वो इंतजार लौटा पाओगे तुम तुम्हारी राह देखते देखते थक कर पथरा गईं मेरी आँखों से बही जलधार लौटा पाओगे तुम आती जाती रहीं तुम्हारी उम्मीद में कैसे कैसे मेरी स्वासों के तार तार लौटा पाओगे तुम जिस बेरुखी से कह गए भूल जाने को मुझे मेरा करार,एतबार,मेरा प्यार लौटा पाओगे तुम ©अज्ञात"

 क्या क्या मेरा मेरे दिलदार लौटा पाओगे तुम 
दिल्लगी का शिकार मेरी हार लौटा पाओगे तुम 

मुद्द्त हुई लौटे हो 'मुझे भूल जाओ' कहने को 
मेरा बरसों का वो इंतजार लौटा पाओगे तुम 

तुम्हारी राह देखते देखते थक कर पथरा गईं 
मेरी आँखों से बही जलधार लौटा पाओगे तुम 

आती जाती रहीं तुम्हारी उम्मीद में कैसे कैसे 
मेरी स्वासों के तार तार लौटा पाओगे तुम 

जिस बेरुखी से कह गए भूल जाने को मुझे 
मेरा करार,एतबार,मेरा प्यार लौटा पाओगे तुम

©अज्ञात

क्या क्या मेरा मेरे दिलदार लौटा पाओगे तुम दिल्लगी का शिकार मेरी हार लौटा पाओगे तुम मुद्द्त हुई लौटे हो 'मुझे भूल जाओ' कहने को मेरा बरसों का वो इंतजार लौटा पाओगे तुम तुम्हारी राह देखते देखते थक कर पथरा गईं मेरी आँखों से बही जलधार लौटा पाओगे तुम आती जाती रहीं तुम्हारी उम्मीद में कैसे कैसे मेरी स्वासों के तार तार लौटा पाओगे तुम जिस बेरुखी से कह गए भूल जाने को मुझे मेरा करार,एतबार,मेरा प्यार लौटा पाओगे तुम ©अज्ञात

#प्यार

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