वो पकड़ के मेरे हाथों को,,
आंखो में डाले आंखे कहे कुछ अनकहे जज्बातों को,,,
तब कुछ यूं बात बने।।
कुछ दूर वो भी, कुछ दूर हम भी,,,,
कैसे समझें नादान दिल इन कश्मकशी हालातों को।।।
मैं आंखे बंद करूं उसका अक्श दिखे,,,
मैं सांसे लूं तो उसकी खुशबू सांसों में घुले,,,
तब कुछ यूं बात बने।।।
वो नाम ले मेरा मैं दिल को हाथों से थाम लूं,,,
देखें जब वो मुस्कुरा कर कैसे सब्र से में काम लूं,,,
मुझे वो अपनाये,,,
अपने परछाई में बस मुझको ही पाए,,,
तब कुछ यूं बात बने।।।
©KAJAL The Poetry Writer
#Blossom
वो पकड़ के मेरे हाथों को,,
आंखो में डाले आंखे कहे कुछ अनकहे जज्बातों को,,,
तब कुछ यूं बात बने।।
कुछ दूर वो भी, कुछ दूर हम भी,,,,
कैसे समझें नादान दिल इन कश्मकशी हालातों को।।।
मैं आंखे बंद करूं उसका अक्श दिखे,,,
मैं सांसे लूं तो उसकी खुशबू सांसों में घुले,,,