वासना प्रेम को कभी नहीं समझ सकती।
इसलिए पुरुष पर स्त्री का आरोप सत्य है कि
उसने कभी उसे समझा नहीं।
वासना का भिक्षा पात्र कभी भरा नहीं जा सकता,
वह कभी पूर्ण नहीं होता।
वासना से भरा पुरुष
हमेशा स्त्री की ओर देखता रहता है कि
वह कब उसकी वासना को पूरा कर दे।
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©Sunil Choudhary
#HappyRoseDay