क्या खूब तू ने मोहब्बत कि अदा कारी की है।
भरोसा तुझ पे करने कि हमने खता कारी की है।।
हमारी खैरात से जो काबिज हैं सत्ता पर सुन लें।
ज़मीन जानती है किस कदर हमने वफ़ा दारी की है।।
आइन - ए - हिन्द को हम रखते हैं सर आंखों पर।
हमारी लहू ने हर वर्क की कदर दानी की है।।
भगत मांगे गा तुझसे एक रोज जवाब।
किस दिल से तू ने वतन से जफा कारी की है।।
तुम हरगिज हिंदुस्तान को बदल नहीं सकते।
बात अब तो अमन वालों के खुद्दारी कि है।।
त्महे हमसे चाहिए सबूत, वतन परस्ती का।
तुम्हे मिलेगा हमसे जवाब जो तूने गद्दारी की है।।
#protest Mohammad Adnan Rabbani's Shayari • क्या खूब तू ने मोहब्बत कि अदा कारी की है।
भरोसा तुझ पे करने कि हमने खता कारी की है।।
हमारी खैरात से जो काबिज हैं सत्ता पर सुन लें।
ज़मीन जानती है किस कदर हमने वफ़ा दारी की है।।
आइन - ए - हिन्द को हम रखते हैं सर आंखों पर।
हमारी लहू ने हर वर्क की कदर दानी की है।।