White क्या प्रेम जताने के ख़ातिर, इक लम्बा ख़त देन | हिंदी कविता

"White क्या प्रेम जताने के ख़ातिर, इक लम्बा ख़त देना होगा। या गुच्छे फूलों के लेकर, चौराहे पर मिलना होगा। उपहारों के सेज सजाकर, तुम्हें सुलाना ही होगा। क्या रात दोपहरी में लाकर, वो वीयर पिलाना ही होगा। यदि प्रेम इसी को कहते हैं, तो प्रेम नहीं कर पाउंगा। ये सब करने से अच्छा है, मैं प्रेम बिना मर जाउंगा। ©Shubham Mishra"

 White क्या प्रेम जताने के ख़ातिर,
इक लम्बा ख़त देना होगा।
या गुच्छे फूलों के लेकर,
चौराहे पर मिलना होगा।
उपहारों के सेज सजाकर, 
तुम्हें सुलाना ही होगा।
क्या रात दोपहरी में लाकर,
वो वीयर पिलाना ही होगा।
यदि प्रेम इसी को कहते हैं,
तो प्रेम नहीं कर पाउंगा।
ये सब करने से अच्छा है,
मैं प्रेम बिना मर जाउंगा।

©Shubham Mishra

White क्या प्रेम जताने के ख़ातिर, इक लम्बा ख़त देना होगा। या गुच्छे फूलों के लेकर, चौराहे पर मिलना होगा। उपहारों के सेज सजाकर, तुम्हें सुलाना ही होगा। क्या रात दोपहरी में लाकर, वो वीयर पिलाना ही होगा। यदि प्रेम इसी को कहते हैं, तो प्रेम नहीं कर पाउंगा। ये सब करने से अच्छा है, मैं प्रेम बिना मर जाउंगा। ©Shubham Mishra

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