भाग दौड़ भरी जिन्दगी और वक़्त निकलता जा रहा है
जल्दी से मिलते ह सब, जो मिला वो जल्द ही बिछड़ता जा रहा है
चंद लम्हों को कोई खुमार से, कोई प्यार से जीता है
कोई बन जाता है दर्द की वजह,कोई चुपके से गमो को पीता है
कोई रुकना नहीं चाहता,कोई झुकना नहीं चाहता
कोई तरसता है मिलने को,कोई बात भी करना नहीं चाहता
एक दायरे में सिमटी है जिंदगी,एक दायरे में सब खामोश है
कहने को होश में है सभी,पर लगता हर कोई मदहोश है
गुमां दौलत का कहीं, कोई किस्मत का मारा है
कोई जीत गया गैरों से,कोई अपनों से हारा है
ये दुनिया है साहब यू ही चलती रहेगी
कभी कोई जीता तो गम,कभी किसी की हार में ख़ुशी मिलती रहेगी
कोई थक चुका है कोई चलता जा रहा है
भाग दौड़ भरी जिंदगी और वक़्त निकलता जा रहा है
©Mishra Abhishek
#Raat