वो ही जद्दोजहद वो ही मशक्कत ओ लाचारी बारह महीने बा | हिंदी कविता

"वो ही जद्दोजहद वो ही मशक्कत ओ लाचारी बारह महीने बाद भी। वो ही अफरातफरी वो ही मारामारी बारह महीने बाद भी।। न दवा है अब न ही मुनासिब इलाज हासिल अस्पताल में, जगह मयस्सर नहीं शम्शान में भी हाहाकारी बारह महीने बाद भी। इधर लाशों के ढ़ेर लगे तो लगे रहें,लोग मरें तो मरते रहें , हवस फिर किसी सूबे में हुकूमत की तैयारी बारह महीने बाद भी। पाखंड की हद तो देखिए दोस्त कितनी बेमिसाल है मुल्क में, जय श्री राम के शोर में,गूंज राम नाम सत की जारी बारह महीने बाद भी। अब तो ये नालायकी छिपाने से भी नहीं छिपने वाली साहिब, बेजा कोशिशें कर रहे हो ये गुनाह की पर्देदारी बारह महीने बाद भी ये इल्जाम फकत हमारा नहीं है हुकूमत पे अवाम के कत्लेआम का, अदालत कहती है शर्मनाक बदइंतजामी ये सरकारी बारह महीने बाद भी। ©भारद्वाज"

 वो ही जद्दोजहद वो ही मशक्कत ओ लाचारी बारह महीने बाद भी।

वो ही अफरातफरी वो ही मारामारी बारह महीने बाद भी।।


न दवा है अब न ही मुनासिब इलाज हासिल अस्पताल में,

जगह मयस्सर नहीं शम्शान में भी हाहाकारी बारह महीने बाद भी।


इधर लाशों के ढ़ेर लगे तो लगे रहें,लोग मरें तो मरते रहें ,

हवस फिर किसी सूबे में हुकूमत की तैयारी बारह महीने बाद भी।


पाखंड की हद तो देखिए  दोस्त कितनी बेमिसाल है मुल्क में,

जय श्री राम के शोर में,गूंज राम नाम सत की जारी बारह महीने बाद भी।

 
अब तो ये नालायकी छिपाने से भी नहीं छिपने वाली साहिब,

बेजा कोशिशें कर रहे हो ये गुनाह की पर्देदारी बारह महीने बाद भी


ये इल्जाम फकत हमारा नहीं है हुकूमत पे अवाम के कत्लेआम का,

अदालत कहती है शर्मनाक बदइंतजामी ये सरकारी बारह महीने बाद भी।

©भारद्वाज

वो ही जद्दोजहद वो ही मशक्कत ओ लाचारी बारह महीने बाद भी। वो ही अफरातफरी वो ही मारामारी बारह महीने बाद भी।। न दवा है अब न ही मुनासिब इलाज हासिल अस्पताल में, जगह मयस्सर नहीं शम्शान में भी हाहाकारी बारह महीने बाद भी। इधर लाशों के ढ़ेर लगे तो लगे रहें,लोग मरें तो मरते रहें , हवस फिर किसी सूबे में हुकूमत की तैयारी बारह महीने बाद भी। पाखंड की हद तो देखिए दोस्त कितनी बेमिसाल है मुल्क में, जय श्री राम के शोर में,गूंज राम नाम सत की जारी बारह महीने बाद भी। अब तो ये नालायकी छिपाने से भी नहीं छिपने वाली साहिब, बेजा कोशिशें कर रहे हो ये गुनाह की पर्देदारी बारह महीने बाद भी ये इल्जाम फकत हमारा नहीं है हुकूमत पे अवाम के कत्लेआम का, अदालत कहती है शर्मनाक बदइंतजामी ये सरकारी बारह महीने बाद भी। ©भारद्वाज

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