राष्ट्र रक्षा यज्ञ में श्वास़ो का किया हवन ,
ऐसे बलिदानियों का वंदन कर लेता हूं।
वीरों की कुर्बानियाओ को तो में प्रणाम करूं,
सरहद के शौर्य को सलाम कर लेता हूं।
भारती के आंचल में दान दिया शीश जिसने ,
शहीदों की शहादत का गुणगान कर लेता हूं।
कलम से निकलते हैं जब शब्द आंतरिक ,
अमर शहीदों का बखान कर लेता हूं।
जितेंद्र गौतम "इंकलाबी"
©jitu inklabi
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