White त्रेता , द्वापर की बात अलग थी अब ये कलयुग की | हिंदी कविता

"White त्रेता , द्वापर की बात अलग थी अब ये कलयुग की बारी है यहां अपने ही अजनबी हैं ये कैसी लाचारी है काम पड़े तो खून के रिश्ते ही सबसे पहले दूर हुए जिसको कहते हरदम अपना वो इतने मजबूर हुए खुशी में शामिल सब होते बस गम में कोई साथ नहीं फिर कैसे अपने हैं ये क्या अपनो में होती बात यही दो आंसू तो गैरों के भी पराए के दुख में बह जाते हैं ये अपने कैसे हैं जो केवल शोक जताने आते हैं !!!! ©Anushka Tripathi"

 White त्रेता , द्वापर की बात अलग थी
अब ये कलयुग की बारी है
यहां अपने ही अजनबी हैं
ये कैसी लाचारी है
काम पड़े तो खून के रिश्ते
ही सबसे पहले दूर हुए
जिसको कहते हरदम अपना
वो इतने मजबूर हुए
खुशी में शामिल सब होते
बस गम में कोई साथ नहीं
फिर कैसे अपने हैं ये
क्या अपनो में होती बात यही
 दो आंसू तो गैरों के भी 
पराए के दुख में बह जाते हैं
ये अपने कैसे हैं जो
केवल शोक जताने आते हैं !!!!

©Anushka Tripathi

White त्रेता , द्वापर की बात अलग थी अब ये कलयुग की बारी है यहां अपने ही अजनबी हैं ये कैसी लाचारी है काम पड़े तो खून के रिश्ते ही सबसे पहले दूर हुए जिसको कहते हरदम अपना वो इतने मजबूर हुए खुशी में शामिल सब होते बस गम में कोई साथ नहीं फिर कैसे अपने हैं ये क्या अपनो में होती बात यही दो आंसू तो गैरों के भी पराए के दुख में बह जाते हैं ये अपने कैसे हैं जो केवल शोक जताने आते हैं !!!! ©Anushka Tripathi

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