ए मंजिल..
छोड़ दे तू इतराना !
अभी मेरी...
तुझ से मुलाकात है बाकी
मालूम है अंधेरा है..
और पूरी रात है बाकी
पर..डर कर...
कदम रुक जाए ?
......बिल्कुल नहीं.....
अभी दिल में जिंदा है उम्मीद..
और जिंदा हूं मैं
ना डगमग है हौसला मेरा..
ताकत है बाकी
सब्र कर..ए मंजिल...
तुझ से अभी...
मुलाकात है बाकी !
मशक्कत जारी है..
उस हद तक..
जब तक मेरी...
मौत है बाकी !
©deepti
#Thoughts