कमलेश,कोहरे में घिर गया शहर हवाओं ने ढाया कुछ ऐसा | हिंदी शायरी

"कमलेश,कोहरे में घिर गया शहर हवाओं ने ढाया कुछ ऐसा कहर आसमान के तारे भी महफूज नहीं इंसानों ने मचाया है इतना गदर। शाक भाजी अब मिलती नहीं यारा गोश्त मिल जायेगा अब हर घर गर्मी,सर्दी बारिश अब बेहद हो चुके हैं मेरी धरती को जाने किसकी लगी नजर ©Kamlesh Kandpal"

 कमलेश,कोहरे में घिर गया शहर 
हवाओं ने ढाया कुछ ऐसा कहर 

आसमान के तारे भी महफूज नहीं 
इंसानों ने मचाया है इतना गदर।

शाक भाजी अब मिलती नहीं यारा 
गोश्त मिल जायेगा अब हर घर

गर्मी,सर्दी बारिश अब बेहद हो चुके हैं 
मेरी धरती को जाने किसकी लगी नजर

©Kamlesh Kandpal

कमलेश,कोहरे में घिर गया शहर हवाओं ने ढाया कुछ ऐसा कहर आसमान के तारे भी महफूज नहीं इंसानों ने मचाया है इतना गदर। शाक भाजी अब मिलती नहीं यारा गोश्त मिल जायेगा अब हर घर गर्मी,सर्दी बारिश अब बेहद हो चुके हैं मेरी धरती को जाने किसकी लगी नजर ©Kamlesh Kandpal

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