जानते हो हम दोनों को कोई मेल नहीं
दुनिया के नजरो में हम दोनों का प्यार कभी कबूल नहीं
पहली बार इक्श पहली बूद जैसा और मै उड़ता धूल जैसा
वो अगर चांद का टुकड़ा तो मै उसपे दाग सा
वो बड़े समुन्द्र चंचल लेहरे
और मै शांत किनारा
जीने वो छुह के तो गुजरते है
पर कभी ठहर नहीं सकते है
लोग कहते है कभी सचा प्यार मिलता नहीं है
वो एक ख्वाब है जो हकित में होता नहीं
जैसे चांद ज़मीन पे आता नहीं
जैसे खुदा जो कभी एक का होता नहीं
बस यही बात सोच कर अक्सर मै खुद से लड़ता हूं
क्या हुआ अगर हम ना मिले खुद से शवाल करता
और जवाब में मै खुद अकेले पाता हूं
Swastik singh Rajput