मुझे ख़बर है कि इस तपिश के बाद बरखा होगा,
दौर टूटेगा ये भी इक दिन, फिर सब अच्छा होगा।
ये नाकामियों के किस्से, ये दर्द भरी बातेँ तुम्हारी,
जब कोई अपना सुनता होगा तो क्या कहता होगा।
ये भरोसे, ये ख़्वाब कभी गिरकर नहीं टूटा करते,
जो टूटा था कल रात, जरूर कोई बुरा सपना होगा।
यूँ हार कर न बैठो, तुम तो करिश्माई हो आलोक,
रस्ते खत्म भी हो गए अगर, तो आगे भी रस्ता होगा।
......GARग
©Alok Garg Kumar Shukla
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