" मेरे शब्दों के लिए तो देवता भी तरसते रहते हैं।
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समस्त पृथ्वी वासियों 04/07/2025 तक
मेरे मुख के कटु और अमृत रुप में ,
जो वचन सुन रहे हो इनका मुल भाव ,
समझने की चेष्टा करते हुए।
उन्होंने खुद जीवन मैं उतार कर अपने ह्रदय में।
स्थित भगवान को खोजने का साहस करते रहो ।
अन्यथा इस मुख से अपने गुप्त 28 विधा को ।
मौन रूप में देखा जाना शकय हो जा जाएगा।
आपके लिए पृथ्वी पर भविष्य में समस्त धर्मों के लिए।
इसलिए सयंम रुप से समझना सीखिएं ठुकराना नहीं।
यह मेरी वाणी श्री गीता जी का .............
गुप्त रहस्य बताया जा रहा है.............
©GRHC~TECH~TRICKS
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