कभी नासमझ होते हैं तो कभी समझदार ए गुरुर होते हैं | हिंदी Poetry

"कभी नासमझ होते हैं तो कभी समझदार ए गुरुर होते हैं , जब लगते हैं दरबार ए सच तो हमारे चर्चे जरूर होते हैं। हमें अब छोटी-बड़ी महफिलों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती , लोग हर जगह हमारे नाम के जरिए ही मशहूर होते हैं। ~आचमन चित्रांशी✍🏻 ©Achman Chitranshi"

 कभी नासमझ होते हैं तो कभी समझदार ए गुरुर होते हैं ,
जब लगते हैं दरबार ए सच तो हमारे चर्चे जरूर होते हैं।
हमें अब छोटी-बड़ी महफिलों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती ,
लोग हर जगह हमारे नाम के जरिए ही मशहूर होते हैं।
 
 ~आचमन चित्रांशी✍🏻

©Achman Chitranshi

कभी नासमझ होते हैं तो कभी समझदार ए गुरुर होते हैं , जब लगते हैं दरबार ए सच तो हमारे चर्चे जरूर होते हैं। हमें अब छोटी-बड़ी महफिलों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती , लोग हर जगह हमारे नाम के जरिए ही मशहूर होते हैं। ~आचमन चित्रांशी✍🏻 ©Achman Chitranshi

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