मंज़िले अंजान हैं, मगर रास्ते कर रहे वफा हैं । ख | हिंदी Shayari Video

"मंज़िले अंजान हैं, मगर रास्ते कर रहे वफा हैं । खोए हुए थे अब तक, देखो आ चले कहाँ हैं । तारे चल रहे साथ मगर, चाँद बने हमसफर हैं । रात का यह सफर, आखिर क्या बयाँ कर रहा है? लहरें उस उफान पर, मचलती हुई बेबाक हैं । हवाएँ हैं मंद मंद, शीतल सा समां है । मुसाफ़िर ना हो बेशक, हम तन्हा कहाँ हैं ! पंछी सारे चुप हैं, सन्नाटे ने कुछ तो कहा है ! जीवन की कश्ती को, देना अब अंजाम है, यह तो केवल सफर के साथी थे, ए दोस्त! ज़िंदगी के बाद अब देना मौत का इम्तिहान है । मंज़िले अंजान हैं, मगर रास्ते कर रहे वफा हैं । खोए हुए थे अब तक, देखो आ चले कहाँ हैं । तारे चल रहे साथ मगर, चाँद बने हमसफर हैं । रात का यह सफर, आखिर क्या बयाँ कर रहा है? लहरें उस उफान पर, मचलती हुई बेबाक हैं । हवाएँ हैं मंद मंद, शीतल सा समां है । मुसाफ़िर ना हो बेशक, हम तन्हा कहाँ हैं ! पंछी सारे चुप हैं, सन्नाटे ने कुछ तो कहा है ! जीवन की कश्ती को, देना अब अंजाम है, यह तो केवल सफर के साथी थे, ए दोस्त! ज़िंदगी के बाद अब देना मौत का इम्तिहान है । h सफ़र, अंजाम तक ! जीवन की कश्ती को, देना अब अंजाम है, यह तो केवल सफर के साथी थे, ए दोस्त! ज़िंदगी के बाद अब देना मौत का इम्तिहान है । जीवन की कश्ती को, देना अब अंजाम है, यह तो केवल सफर के साथी थे, ए दोस्त! ज़िंदगी के बाद अब देना मौत का इम्तिहान है । - सौम्या "

मंज़िले अंजान हैं, मगर रास्ते कर रहे वफा हैं । खोए हुए थे अब तक, देखो आ चले कहाँ हैं । तारे चल रहे साथ मगर, चाँद बने हमसफर हैं । रात का यह सफर, आखिर क्या बयाँ कर रहा है? लहरें उस उफान पर, मचलती हुई बेबाक हैं । हवाएँ हैं मंद मंद, शीतल सा समां है । मुसाफ़िर ना हो बेशक, हम तन्हा कहाँ हैं ! पंछी सारे चुप हैं, सन्नाटे ने कुछ तो कहा है ! जीवन की कश्ती को, देना अब अंजाम है, यह तो केवल सफर के साथी थे, ए दोस्त! ज़िंदगी के बाद अब देना मौत का इम्तिहान है । मंज़िले अंजान हैं, मगर रास्ते कर रहे वफा हैं । खोए हुए थे अब तक, देखो आ चले कहाँ हैं । तारे चल रहे साथ मगर, चाँद बने हमसफर हैं । रात का यह सफर, आखिर क्या बयाँ कर रहा है? लहरें उस उफान पर, मचलती हुई बेबाक हैं । हवाएँ हैं मंद मंद, शीतल सा समां है । मुसाफ़िर ना हो बेशक, हम तन्हा कहाँ हैं ! पंछी सारे चुप हैं, सन्नाटे ने कुछ तो कहा है ! जीवन की कश्ती को, देना अब अंजाम है, यह तो केवल सफर के साथी थे, ए दोस्त! ज़िंदगी के बाद अब देना मौत का इम्तिहान है । h सफ़र, अंजाम तक ! जीवन की कश्ती को, देना अब अंजाम है, यह तो केवल सफर के साथी थे, ए दोस्त! ज़िंदगी के बाद अब देना मौत का इम्तिहान है । जीवन की कश्ती को, देना अब अंजाम है, यह तो केवल सफर के साथी थे, ए दोस्त! ज़िंदगी के बाद अब देना मौत का इम्तिहान है । - सौम्या

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