हाय की, रूठ जाते है मौसम सारे, जब समेटे हम यादें त | हिंदी फ़िल्म Video

"हाय की, रूठ जाते है मौसम सारे, जब समेटे हम यादें तुम्हारे ओझल हो स्वपनित पलकों से, चमकते जाने कितने सितारे कुछ पीर हुई, कुछ दीद हुई, न जाने ये कैसी रीत हुई कुछ मास हुए है मिले हुए, न जाने कैसे अजीज हुई इक शख्स समय की बेला से ही खड़ा हुआ है साथ तुम्हारे सोचूं जाने कैसे आखिर, खड़ा रहूं अब "मैं" साथ तुम्हारे!! ©nonpoeticpoet "

हाय की, रूठ जाते है मौसम सारे, जब समेटे हम यादें तुम्हारे ओझल हो स्वपनित पलकों से, चमकते जाने कितने सितारे कुछ पीर हुई, कुछ दीद हुई, न जाने ये कैसी रीत हुई कुछ मास हुए है मिले हुए, न जाने कैसे अजीज हुई इक शख्स समय की बेला से ही खड़ा हुआ है साथ तुम्हारे सोचूं जाने कैसे आखिर, खड़ा रहूं अब "मैं" साथ तुम्हारे!! ©nonpoeticpoet

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