सांवरे कृष्ण ने सांवरी सांझ में
अपने अधरों पे मुस्का के मुरली धरी
तान ने प्रेम का वायुमंडल गढा
नेह बदरी ने तब प्रेम वर्षा करी
कनखियां कर रहीं कृष्ण की कामना
अखडियों में अलख जग गयी आस की
आज निधिवन के आंगन में धरती गगन
कर रहे हैं प्रतीक्षा महारास की
मन
#RIPRahatIndori