बूंदों की ये भाषा, कभी समझ सके न कोई, हर दिल की ध | हिंदी Shayari

"बूंदों की ये भाषा, कभी समझ सके न कोई, हर दिल की धड़कन, कभी इनके संग है रोई.. बचपन की बारिशें, अब की बारिश से मिलें, चेहरे पर मुस्कान लिए, दोनों जहां संग खेलें... रंगीन छाते के नीचे, बारिश के मीठे गीत गाएं, कागज की नाव बनाकर, चलो पानी में बहाएं.. बस एक पल को ठहर, बूंदों के संग मुस्काए, बचपन की बारिशें, चलो फिर से जी जाएं....... -ख्याली_जोशी 🥀🥀 ©HUMANITY INSIDE"

 बूंदों की ये भाषा, कभी समझ सके न कोई, 
हर दिल की धड़कन, कभी इनके संग है रोई..

बचपन की बारिशें, अब की बारिश से मिलें, 
चेहरे पर मुस्कान लिए, दोनों जहां संग खेलें...

रंगीन छाते के नीचे, बारिश के मीठे गीत गाएं, 
कागज की नाव बनाकर, चलो पानी में बहाएं..

बस एक पल को ठहर, बूंदों के संग मुस्काए, 
बचपन की बारिशें, चलो फिर से जी जाएं.......

-ख्याली_जोशी 🥀🥀

©HUMANITY INSIDE

बूंदों की ये भाषा, कभी समझ सके न कोई, हर दिल की धड़कन, कभी इनके संग है रोई.. बचपन की बारिशें, अब की बारिश से मिलें, चेहरे पर मुस्कान लिए, दोनों जहां संग खेलें... रंगीन छाते के नीचे, बारिश के मीठे गीत गाएं, कागज की नाव बनाकर, चलो पानी में बहाएं.. बस एक पल को ठहर, बूंदों के संग मुस्काए, बचपन की बारिशें, चलो फिर से जी जाएं....... -ख्याली_जोशी 🥀🥀 ©HUMANITY INSIDE

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