तू छोड़ दें कोशिशें..
इंसानों को पहचानने की...!
यहाँ ज़रूरतों के हिसाब से..
सब बदलते नक़ाब हैं ....!
अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर ..
हर शख़्स कहता है
“ज़माना बड़ा ख़राब है।”
तू छोड़ दें कोशिशें..
इंसानों को पहचानने की...!
यहाँ ज़रूरतों के हिसाब से..
सब बदलते नक़ाब हैं ....!
अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर ..