छत पे छेद हे, उसका भी एक सबब यह हे उजाला पंहोचता | हिंदी कविता

"छत पे छेद हे, उसका भी एक सबब यह हे उजाला पंहोचता रहेगा गरीब के घर अब ©Vijay Gohel Saahil"

 छत पे छेद हे, उसका भी एक सबब यह हे 
उजाला पंहोचता रहेगा गरीब के घर अब

©Vijay Gohel Saahil

छत पे छेद हे, उसका भी एक सबब यह हे उजाला पंहोचता रहेगा गरीब के घर अब ©Vijay Gohel Saahil

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