पता नही, जिंदगी का वो लम्हा कैसे जिएंगे। जब उसके ह | हिंदी Shayari

"पता नही, जिंदगी का वो लम्हा कैसे जिएंगे। जब उसके हाथ की पहली चाय पियेंगे। क्योंकि ख्यालों में जब वो पानी उबालती है, उसमे भी एक अजीब सी महक आती है। ख्वाबों में यूं रात से सुबह हो जाती है। ये महक न दिल से ना दिमाग से जाती है। ©Asif"

 पता नही, जिंदगी का वो लम्हा कैसे जिएंगे।
जब उसके हाथ की पहली चाय पियेंगे।
क्योंकि ख्यालों में जब वो पानी उबालती है,
उसमे भी एक अजीब सी महक आती है।
ख्वाबों में यूं रात से सुबह हो जाती है।
ये महक न दिल से ना दिमाग से जाती है।

©Asif

पता नही, जिंदगी का वो लम्हा कैसे जिएंगे। जब उसके हाथ की पहली चाय पियेंगे। क्योंकि ख्यालों में जब वो पानी उबालती है, उसमे भी एक अजीब सी महक आती है। ख्वाबों में यूं रात से सुबह हो जाती है। ये महक न दिल से ना दिमाग से जाती है। ©Asif

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