चोट खाया हुये जानवर और चोट खाये हुए मनुष्य ⁣ लगभग | हिंदी कविता

"चोट खाया हुये जानवर और चोट खाये हुए मनुष्य ⁣ लगभग एक ही समान होते हैं । ⁣ चोट खाया जानवर इंतजार में होता है ⁣ किसी अन्य जीव पर हमला करने को ⁣ चोट खाया इंसान इंतजार में होता है ⁣ किसी अन्य मनुष्य को आहत करने को ।⁣ ⁣ चोट खाये जानवर में और चोट खाये इंसान में ⁣ केवल इतना अंतर होता है कि ⁣ जानवर कभी अपने शिकार को रोटियां नहीं डालता ⁣ घात लगाए बैठा होता है और दिखते ही झपट पड़ता है।⁣ जबकि इंसान अपने शिकार को पालता है ⁣ उसे प्रेम से लेस देता है , उसका दाता बन जाता है ⁣ और किसी रोज़ जब शिकार पूर्णतः सौंप देता है ⁣ अपना विश्वास अपने दाता के कदमों में ⁣ झपट पड़ता है तब इंसान अपने शिकार पर । ⁣ ⁣"

 चोट खाया हुये जानवर और चोट खाये हुए मनुष्य ⁣
 लगभग एक ही समान होते हैं । 
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चोट खाया जानवर इंतजार में होता है ⁣
किसी अन्य जीव पर हमला करने को ⁣
चोट खाया इंसान इंतजार में होता है ⁣
किसी अन्य मनुष्य को आहत करने को ।⁣
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चोट खाये जानवर में और चोट खाये इंसान में ⁣
केवल इतना अंतर होता है कि ⁣
जानवर कभी अपने शिकार को रोटियां नहीं डालता ⁣
घात लगाए बैठा होता है और दिखते ही झपट पड़ता है।⁣
जबकि इंसान अपने शिकार को पालता है ⁣
उसे प्रेम से लेस देता है , उसका दाता बन जाता है ⁣
और किसी रोज़ जब शिकार पूर्णतः सौंप देता है ⁣
अपना विश्वास अपने दाता के कदमों में ⁣
झपट पड़ता है तब इंसान अपने शिकार पर । ⁣
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चोट खाया हुये जानवर और चोट खाये हुए मनुष्य ⁣ लगभग एक ही समान होते हैं । ⁣ चोट खाया जानवर इंतजार में होता है ⁣ किसी अन्य जीव पर हमला करने को ⁣ चोट खाया इंसान इंतजार में होता है ⁣ किसी अन्य मनुष्य को आहत करने को ।⁣ ⁣ चोट खाये जानवर में और चोट खाये इंसान में ⁣ केवल इतना अंतर होता है कि ⁣ जानवर कभी अपने शिकार को रोटियां नहीं डालता ⁣ घात लगाए बैठा होता है और दिखते ही झपट पड़ता है।⁣ जबकि इंसान अपने शिकार को पालता है ⁣ उसे प्रेम से लेस देता है , उसका दाता बन जाता है ⁣ और किसी रोज़ जब शिकार पूर्णतः सौंप देता है ⁣ अपना विश्वास अपने दाता के कदमों में ⁣ झपट पड़ता है तब इंसान अपने शिकार पर । ⁣ ⁣

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