सुनो साहेब
तुम मेरा आईना हो तुममें मैं अपना प्रतिबिंब पाता हूँ
तुमसे जानना चाहता हूँ रोज़ मैं कैसा नज़र आता हूँ लेकिन मैं भी हूँ पानी,घोल दो विष कर दो कसैला या मिश्री सी मिठास सान दो मैं घुल जाता हूँ बहा दो समुंदर में भर दो सुराही में मैं ढल जाता हूँ
रंग दो पीला हरा, जामुनी कर दो मुझे मैं रंग जाता हूँ
तुम आईना हो मेरा तुममें मैं अपना प्रतिबिंब पाता हूँ
©Pawan Dvivedi
#ArabianNight आईना