#कुंडलियाँ_छ्न्द बदला बाना जब कभी,ऋतु का देखा रूप | हिंदी Poetry

"#कुंडलियाँ_छ्न्द बदला बाना जब कभी,ऋतु का देखा रूप। आपस में लड़ने लगीं, छांव और ये धूप। छांव और ये धूप, धूप ने आंख दिखायी। सुनकर के कुहराम, हवा भी दौड़ी आयी। मटमैली ये छांव, धूप दे "अनहद' ताना। ऋतु ने झट से किन्तु,आदतन बदला बाना। ©Gunjan Agarwal"

 #कुंडलियाँ_छ्न्द

बदला बाना जब कभी,ऋतु का देखा रूप।
आपस  में  लड़ने लगीं, छांव  और  ये धूप।
छांव  और ये  धूप,  धूप ने आंख  दिखायी।
सुनकर  के  कुहराम, हवा भी दौड़ी आयी।
मटमैली   ये   छांव, धूप  दे "अनहद' ताना।
ऋतु ने झट से किन्तु,आदतन बदला बाना।

©Gunjan Agarwal

#कुंडलियाँ_छ्न्द बदला बाना जब कभी,ऋतु का देखा रूप। आपस में लड़ने लगीं, छांव और ये धूप। छांव और ये धूप, धूप ने आंख दिखायी। सुनकर के कुहराम, हवा भी दौड़ी आयी। मटमैली ये छांव, धूप दे "अनहद' ताना। ऋतु ने झट से किन्तु,आदतन बदला बाना। ©Gunjan Agarwal

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