एक दिन तुझ से मिलने आऊँगा,
सुन मेरे बनारस जब बख़त होगा आखिरी
सफ़र भी रहेगा आखिरी तब तुझ से बताने आऊँगा...
तुझ से एक दिन मिलने आऊँगा...
मंदिर, घण्टे, घाट, भाँग...सब याद हैं मुझे,
मैं जब हारूँगा खुद से तो ये कहने भी आऊँगा।
मैं एक रोज तुझ से मिलने आऊँगा।
©अभिषेक मिश्रा "अभि"
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