आत्मा अनंत
है न अंत इसका है कोई, मोक्ष यदि मिल गया यही तो
अंतिम छोर है, ढूंढता मैं फिर रहा परमात्मा को संसार भर, कण
- कण विराजता परमात्मा चारो ओर है, राज है अधर्म पर ये धर्म
भी महान है, लेखा तेरा लिख रहा वो सर्व शक्तिमान है ज्ञाता वो
ब्रम्हाण्डो का इसका न तुझको भान है कर्म जो तू कर रहा है सबका
उसको ज्ञान है
©Ankit Rai
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