सूरज सा तेज है जिनका मस्तक पर मुकुट बिराजे, चंद्र | हिंदी Poetry

"सूरज सा तेज है जिनका मस्तक पर मुकुट बिराजे, चंद्र सी शीतलता मुख पर अधरो पर मीठी मुस्कान, अनुपम हरित तेज है जिनका हाथो में रखते धनुष बाण, प्राण भले ही जाए इनके वचन पर सदा अडिग है रहते, सत्य और त्याग की है मूरत नाम है इनका जय श्री राम। राम लक्ष्मण का प्रेम अपार सीता मैया सदा देती साथ, सीना चीर हृदय में दिखाया दर्शन प्रभु का सबको कराया, जिनकी गाथा गाते नर नार जय श्री राम जय जय राम। 🌸🙏जय श्री राम 🙏🌸 ©Heer"

 सूरज सा तेज है जिनका मस्तक पर मुकुट बिराजे,
चंद्र सी शीतलता मुख पर अधरो पर मीठी मुस्कान,
 अनुपम हरित तेज है जिनका हाथो में रखते धनुष बाण, 
प्राण भले ही जाए इनके वचन पर सदा अडिग है रहते,
सत्य और त्याग की है मूरत नाम है इनका जय श्री राम। 
राम लक्ष्मण का प्रेम अपार सीता मैया सदा देती साथ,
सीना चीर हृदय में दिखाया दर्शन प्रभु का सबको कराया, 
जिनकी गाथा गाते नर नार जय श्री राम जय जय राम।

🌸🙏जय श्री राम 🙏🌸

©Heer

सूरज सा तेज है जिनका मस्तक पर मुकुट बिराजे, चंद्र सी शीतलता मुख पर अधरो पर मीठी मुस्कान, अनुपम हरित तेज है जिनका हाथो में रखते धनुष बाण, प्राण भले ही जाए इनके वचन पर सदा अडिग है रहते, सत्य और त्याग की है मूरत नाम है इनका जय श्री राम। राम लक्ष्मण का प्रेम अपार सीता मैया सदा देती साथ, सीना चीर हृदय में दिखाया दर्शन प्रभु का सबको कराया, जिनकी गाथा गाते नर नार जय श्री राम जय जय राम। 🌸🙏जय श्री राम 🙏🌸 ©Heer

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