राह-ए-हक़ पे चल तु , अज़मत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर,,
मिटा कर नफरत को संसार मे मोहब्बत क़ाएम कर,,
नूर-ए-हक़ फैला कर फ़ज़ाओं में चाहत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
सरहद-ए-मौत पर खड़े थे दिवार बनकर चमन के वास्ते वतन वाले,,,
ललकार से जिनकी फ़ज़ाएँ थी गूँज उठी उनके हिम्मत की बात कर,,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
वतन परस्तों ने वतन को दिल-ए-अज़ीज़ जान कर,,
आज़ादी की खातिर जान दी है उनके शहादत की बात कर,,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
तोड़ कर बंदिशें जात-पात की 'साबिर' खुद को अब आज़ाद कर,,
लूट चुकी बहुत आबरूऐं वतन की अब हिफाज़त की बात कर,,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
-साबिर बख़्शी
©बख़्शी डायरी
#IndependenceDay 2023