जब झूठ से काम निकल रहा है फिर सच का बोझ कोई क्यों | हिंदी Love

"जब झूठ से काम निकल रहा है फिर सच का बोझ कोई क्यों उठाएगा शहर भर में फल सस्ता मिल रहा फिर खामखां बाग कोई क्यों लगाएगा जब खुशियां सारी छोड़ जाने में हैं फिर भला लौटकर कोई क्यों आएगा चंद पैसों में निभ रहें हैं रिश्ते मूर्ख ही होगा जो दिल से निभाएगा खुद मुझे नहीं अभी तक समझ मेरी फिर ये जमाना मुझे क्या खाक समझाएगा ये जमाना यूं ही चलता आया है जमाने से ये जमाना जमानों तक यूं ही चलता जाएगा ©Ahsas83"

 जब झूठ से काम निकल रहा है 
फिर सच का बोझ कोई क्यों उठाएगा

शहर भर में फल सस्ता मिल रहा
 फिर खामखां बाग कोई क्यों लगाएगा

जब खुशियां सारी छोड़ जाने में हैं 
फिर भला लौटकर कोई क्यों आएगा

चंद पैसों में निभ रहें हैं रिश्ते
 मूर्ख ही होगा जो दिल से निभाएगा

खुद मुझे नहीं अभी तक समझ मेरी 
फिर ये जमाना मुझे क्या खाक समझाएगा

ये जमाना यूं ही चलता आया है
 जमाने से ये जमाना 
जमानों तक यूं ही चलता जाएगा

©Ahsas83

जब झूठ से काम निकल रहा है फिर सच का बोझ कोई क्यों उठाएगा शहर भर में फल सस्ता मिल रहा फिर खामखां बाग कोई क्यों लगाएगा जब खुशियां सारी छोड़ जाने में हैं फिर भला लौटकर कोई क्यों आएगा चंद पैसों में निभ रहें हैं रिश्ते मूर्ख ही होगा जो दिल से निभाएगा खुद मुझे नहीं अभी तक समझ मेरी फिर ये जमाना मुझे क्या खाक समझाएगा ये जमाना यूं ही चलता आया है जमाने से ये जमाना जमानों तक यूं ही चलता जाएगा ©Ahsas83

#KhaamoshAwaaz #jhuth

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