मैंने अपनी प्राण लुटा दी
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तूझपे सुबहो शाम लुटा दी।
मैंने दिल ओ जान लुटा दी।
नज्मे, बज़्में, गीत व ग़ज़लें,
तूझपे सब सम्मान लुटा दी।
ख़ाब लुटा दी, शुकूं लुटा दी।
नींदें अपनी आराम लुटा दी।
मेरे दिल का हाल मत पूछो,
मैंने खुशियां तमाम लुटा दी।
चाहत अपनी आस लुटा दी।
जीवन की तलाश लुटा दी।
कसमें, वादे व रीति-रिवाज़ें,
मैंने मन की प्यास लुटा दी।
नाम लुटा दी, दाम लुटा दी।
सारी एशो-आराम लुटा दी।
पीया जाम आंखों से हमनें,
मैंने अपनी प्राण लुटा दी।
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---राजेश कुमार
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-26/12/2024
©Rajesh Kumar
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