गुलाबी गाल हैं उसके, गुलाबी शाम की तरह।
हवा के बदले रुख़ जैसी, थोड़ी है वो बेपरवाह।।
सुगंधित फूल के जैसी, महकती देह है उसकी,
लटें चेहरे पे बालों की लरज़ती लहर की तरह।
गज़ब है चाल में मस्ती, की जैसे पौध लहराए,
नशा नज़रों में छाया है , सुरा के प्याले की तरह।
हैं नाज़ुक अंग चाहे, फूल की हो पंखुड़ी जैसे,
भरे जज़्बात सीने में, मगर तूफान की तरह।
हदों में जानती है वो, समय के साथ में जीना,
मगर अरमां हों पूरे चाहती, इंसान की तरह।
न समझो बेल नाज़ुक सी, है वो चट्टान पत्थर की,
जो बदनीयत दिखाई तो, जला दे आग की तरह।
है ममता की वो मूरत और सागर है करुणा की,
मगर अत्याचारियों के लिए है, वो काल की तरह।
समर्पण, त्याग की प्रतिमूर्ति है, मांग कर देखो,
वो दे दे जान भी गर उसको समझो परिवार की तरह।
वो प्यासी है उसे, चाहत की सरिता में डुबो दो तुम,
वो फिर बरसेगी आंगन में, बारिश की बौछार की तरह।
देखो थक ना जाए मन से वो, न थकती है वो काम से,
जो दिल टूटा तो बन जायेगी वो, झंझावात की तरह।
सह लेगी सारे रंज-ओ-ग़म, मोहब्बत के वशी होकर
बिखर जायेगी जो रूसवा किया, एक ख़्वाब की तरह।
"मश्क" कर लो सुनिश्चित, ना हो बे-इज़्ज़त वो कभी,
क्योंकि अपना सम्मान उसके लिए है, एक संस्कार की तरह।
©Abha Jain
स्त्री तुम जिंदादिल हो।
#Alive #Woman #स्त्री @Sunita Saini (Rani) @Garima Taneja