देखो !!
कैसे उनिंदा और बेचैन
छोड़ गए तुम
रातें सोई नहीं कई रातों से मेरी
थकी थकी सी रहती है
दिन मेरे जो ढूंढते है तुमको
आते जाते चेहरों में
खोए खोए से रहते हैं..
सुबहे जो होती थी
आवाज़ से तेरी
अब कइयों के msgs से उठती है
शामें जो गुजरती थी
सोहबत में तेरी
अब ख़ामोश बहुत रहती है
कोई जिस्म चाहता है
कोई साथ ओहदे का
तेरे जाने के बाद
ये रूह बस एक हमराह ढूंढती है..
अम्बर
#TravelDiaries