देखो !! कैसे उनिंदा और बेचैन छोड़ गए तुम रातें सो | English Shayari Vi

"देखो !! कैसे उनिंदा और बेचैन छोड़ गए तुम रातें सोई नहीं कई रातों से मेरी थकी थकी सी रहती है दिन मेरे जो ढूंढते है तुमको आते जाते चेहरों में खोए खोए से रहते हैं.. सुबहे जो होती थी आवाज़ से तेरी अब कइयों के msgs से उठती है शामें जो गुजरती थी सोहबत में तेरी अब ख़ामोश बहुत रहती है कोई जिस्म चाहता है कोई साथ ओहदे का तेरे जाने के बाद ये रूह बस एक हमराह ढूंढती है.. अम्बर"

देखो !! कैसे उनिंदा और बेचैन छोड़ गए तुम रातें सोई नहीं कई रातों से मेरी थकी थकी सी रहती है दिन मेरे जो ढूंढते है तुमको आते जाते चेहरों में खोए खोए से रहते हैं.. सुबहे जो होती थी आवाज़ से तेरी अब कइयों के msgs से उठती है शामें जो गुजरती थी सोहबत में तेरी अब ख़ामोश बहुत रहती है कोई जिस्म चाहता है कोई साथ ओहदे का तेरे जाने के बाद ये रूह बस एक हमराह ढूंढती है.. अम्बर

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