जुल्मत नहीं है ये तेरी मंशा का धुन्ध है तेरे इश्क | English Poetry

"जुल्मत नहीं है ये तेरी मंशा का धुन्ध है तेरे इश्क मे लबालब एक सुकून है क्या ढूंढता है हवा मे तू हर जगह मेरा ही फितूर है कहकशां सा जो दिख रहा है फाल्गुन का हुस्ने-ए- शुरूर है मेरे हुस्न-ए-जमाल मे कुछ नहीं सारी कशिश का जबाब सिर्फ तू है ©chandni"

 जुल्मत नहीं है ये तेरी मंशा का धुन्ध है 
तेरे इश्क मे लबालब एक सुकून है

क्या ढूंढता है हवा मे तू
हर जगह मेरा ही फितूर है

कहकशां सा जो दिख रहा है
फाल्गुन का हुस्ने-ए- शुरूर है 

मेरे हुस्न-ए-जमाल मे कुछ नहीं
सारी कशिश का जबाब सिर्फ तू है

©chandni

जुल्मत नहीं है ये तेरी मंशा का धुन्ध है तेरे इश्क मे लबालब एक सुकून है क्या ढूंढता है हवा मे तू हर जगह मेरा ही फितूर है कहकशां सा जो दिख रहा है फाल्गुन का हुस्ने-ए- शुरूर है मेरे हुस्न-ए-जमाल मे कुछ नहीं सारी कशिश का जबाब सिर्फ तू है ©chandni

#khoobsurat

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