मैं ये जो कुछ भी लिख देता हूँ
बस वक्त गुजारने का एक बहाना है
सोचो जिस दिन प्यार में लिखूँगा
तो क्या क्या लिखूँगा,
ये इबादत, ये इश्क और ये मेरी कविताएँ
जो पहाड़ों, नदियों और पंछियों के लिए हैं
सोचो, जिस दिन इंसानों पे लिखूँगा
तो क्या क्या लिखूँगा !!
©Harishh,,,
Ibaadat... ✍🏻