खरबूजा
बाहर से कुछ और मगर है
अंदर से कुछ और
यही हाल कुछ इंसानों की
बात काबिले गौर
रँग रूप कुछ भी हो लेकिन
यह मीठा होता है
फिर भी इसे रेत में मानव
ले जाकर बोता है
नहीं ढंग से पानी पाता
नहीं ढंग से भोजन
पकते ही पहुँचा देते हैं
लोग इसे सौ योजन
इसके अच्छे गुड़ ना लेता
बेखुद कोई मानव
अवगुण को अपना कर बनता
मिथ्याचारी दानव
©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#खरबूजा