White मंज़िल का ठिकाना नही पर चल रही हूं अंजान र | हिंदी शायरी

"White मंज़िल का ठिकाना नही पर चल रही हूं अंजान राहों पर मंज़िल की तालाश में कहीं तो मिलेगा सकूंन आशियाँ पा कर ©Anita Mishra"

 White 
मंज़िल का ठिकाना नही
पर चल रही हूं 
अंजान राहों पर
मंज़िल की तालाश में
कहीं तो मिलेगा सकूंन
आशियाँ पा कर

©Anita Mishra

White मंज़िल का ठिकाना नही पर चल रही हूं अंजान राहों पर मंज़िल की तालाश में कहीं तो मिलेगा सकूंन आशियाँ पा कर ©Anita Mishra

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