कमियाँ मुझमेँ थी, दुनियां को देता रहा दोष ऐबों | हिंदी शायरी

"कमियाँ मुझमेँ थी, दुनियां को देता रहा दोष ऐबों का नशा इस कदर था कि खो गया होश ©Kamlesh Kandpal"

 कमियाँ मुझमेँ थी, दुनियां को  देता रहा  दोष 
ऐबों का नशा इस कदर था कि खो गया होश

©Kamlesh Kandpal

कमियाँ मुझमेँ थी, दुनियां को देता रहा दोष ऐबों का नशा इस कदर था कि खो गया होश ©Kamlesh Kandpal

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