जब कभी सच की राह पकड़ते हो ना....तो बड़े लालच मिलते हैं....
जिसका सपना देखने से भी डर लगता हो....थाली में सजा कर मिलता है .....
कई बार "मन" सोचता है ...
"क्या मिलेगा इस रास्ते पर चलकर,
थोड़ी मिलावट ज़िन्दगी खुशियों से भर दे शायद"
....पर कमबख्त ये "दिल" और ये "परवरिश" इजाज़त ही नहीं देती।
पता नहीं क्या सुकून है इस राह में एक बार पकड़ लिया तो छोडा ही नहीं जाता।
"सब्र खो भी जाता है अक्सर
ज़िन्दगी गुम भी जाती है
पर एक मजबूती, एक ज़िंदादिली
थामे रखती है हर पल।"
©LAXMI GAUTAM
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