White रिश्तों में या फ़िर हम इंसानों के दरमियाॅं
इख़्तिलाफ़ात इसलिए नहीं होते कि हम सोच अलग-अलग रखते हैं,
बल्कि ज़्यादातर इख़्तिलाफ़ात इसलिए होते हैं क्यूॅंकि हम
इक-दूसरे की सही सोच का भी एहतराम नहीं करते।
किसी की सोच ही अगर ग़लत हो तो बात और है लेकिन
सिर्फ़ किसी और इंसान की सोच हमारी सोच से मेल नहीं खाती
बस इसलिए हम अक्सर उसकी सोच को रद कर देते हैं।
इख़्तिलाफ़ात फ़िर इसी वजह से होते हैं कि हम उस इंसान को
उसकी सोच के साथ क़ुबूल ही नहीं कर पाते।
इंसान नेक और अच्छा है अगर तो उसकी सोच भी वैसी ही होती है,
लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि आप की और उसकी सोच
हर बार एक जैसी ही हो, आप की सोच सही है तो
हो सकता है कि उसकी सोच भी सही ही हो।
हमें ये समझना चाहिए कि हर एक का किसी भी बात को
देखने का नज़रिया अलग होता है और हर इंसान
अपने नज़रिए के हिसाब से ही सोचता है।
किसी बात को लेकर आप जो सोचते हैं उसी बात पर
कोई और कुछ अलग भी तो सोच सकता है।
इसलिए रिश्तों की ख़ूबसूरती बना कर रखनी है अगर तो ...
" दूसरों को और उनकी सोच को समझने की कोशिश किया कीजिए।
और दूसरे भी आप को समझ सके, ऐसा मौक़ा दूसरों को भी दिया कीजिए।"
©Sh@kila Niy@z
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