निगाह- ए- नाज़ पे ऐतबार न कर, कबख़्त ये भी दगा दे | हिंदी Shayari Vide

"निगाह- ए- नाज़ पे ऐतबार न कर, कबख़्त ये भी दगा देती है। किसी गैर का रुख अख़्तियार न कर, जीने की सज़ा देती है। ©Anuradha Jha "

निगाह- ए- नाज़ पे ऐतबार न कर, कबख़्त ये भी दगा देती है। किसी गैर का रुख अख़्तियार न कर, जीने की सज़ा देती है। ©Anuradha Jha

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