ये जीवन भी है जैसे होली
जज्बातों की बनी रंगोली ।
सुख औ दुःख रंग हैं यारों
मिलतें हैं वो जैसे हमजोली
खुशी की है पिचकारी भी
तो कभी है गमों की रोली।
सूबह इमरती ,शाम गुलाल
रातें हुड़दंग सपनों की टोली।
तरह-तरह के रंग रिश्तों मे
कुछ सगे हैं कुछ मुहँबोली।
क्यूँ न हर दिन ही पर्व मनाएँ
मिलकर करें हँसी ठिठोली।
निहारिका सिंह
Happy Holi ❤