कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन क | हिंदी शायरी

"कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं मिलता ©s.k shayar"

 कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता 

कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता

इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ 

मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं मिलता

©s.k shayar

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं मिलता ©s.k shayar

#tereliye

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