शब्द आज़ाद होते हैं "
शब्द आज़ाद होते हैं, कहीं बनकर
के फूल भावनाओं के ,दिल से निकलते हैं।
और कहीं अमोघ अस्त्र,जो विद्रोह
की वाणी बनकर ,तीर तरकश से निकलते हैं।
भावनाओं के निकले फूल, किसी
के दिल के ,गुलदस्ते में कमल से खिलते हैं।
और अमोघ अस्त्रों की अग्नि से, बड़े
-बड़े राजमहल ,देखते ही खड़े-खड़े खिसलते हैं।
©Anuj Ray
#शब्द आज़ाद होते हैं"