White कांच का टुकड़ा था ये दिल, कांच सा रह जाएगा। | हिंदी शायरी

"White कांच का टुकड़ा था ये दिल, कांच सा रह जाएगा। बन सका ना आईना वो, ये गिला रह जाएगा। वक्त ने हमको सिखाया, पांव रखना फूककर, अब तलक तू जो न समझा, तो ठगा रह जाएगा। बुलबुला सा आब का  तू, रौब करता क्यों भला बस समझ औकात अपनी, तो थमा रह जाएगा। वस्ल के दिन थे गुज़ारे, साथ तेरे जागकर अब जुदाई में तेरी वो, जागता रह जाएगा। बाद मतलब के दिखाते, जो हमेशा बेरुखी देखना उनको  ही इक दिन, ये दगा रह जाएगा। जोड़ ले कितने महल, चाहे खजाने अंजना आएगी जिस दिन कजा, तू सोचता रह जाएगा। ©Anjana Jain"

 White कांच का टुकड़ा था ये दिल, कांच सा रह जाएगा।

बन सका ना आईना वो, ये गिला रह जाएगा।

वक्त ने हमको सिखाया, पांव रखना फूककर,

अब तलक तू जो न समझा, तो ठगा रह जाएगा।

बुलबुला सा आब का  तू, रौब करता क्यों भला

बस समझ औकात अपनी, तो थमा रह जाएगा।

वस्ल के दिन थे गुज़ारे, साथ तेरे जागकर

अब जुदाई में तेरी वो, जागता रह जाएगा।

बाद मतलब के दिखाते, जो हमेशा बेरुखी

देखना उनको  ही इक दिन, ये दगा रह जाएगा।

जोड़ ले कितने महल, चाहे खजाने अंजना

आएगी जिस दिन कजा, तू सोचता रह जाएगा।

©Anjana Jain

White कांच का टुकड़ा था ये दिल, कांच सा रह जाएगा। बन सका ना आईना वो, ये गिला रह जाएगा। वक्त ने हमको सिखाया, पांव रखना फूककर, अब तलक तू जो न समझा, तो ठगा रह जाएगा। बुलबुला सा आब का  तू, रौब करता क्यों भला बस समझ औकात अपनी, तो थमा रह जाएगा। वस्ल के दिन थे गुज़ारे, साथ तेरे जागकर अब जुदाई में तेरी वो, जागता रह जाएगा। बाद मतलब के दिखाते, जो हमेशा बेरुखी देखना उनको  ही इक दिन, ये दगा रह जाएगा। जोड़ ले कितने महल, चाहे खजाने अंजना आएगी जिस दिन कजा, तू सोचता रह जाएगा। ©Anjana Jain

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