White हो सकता है ये रात और चढ़े ,खामोसी और बढे सदि | हिंदी कविता

"White हो सकता है ये रात और चढ़े ,खामोसी और बढे सदियों से चुप हूँ इक तेरी आहट को सुनने के लिए ठहरा हूँ जैसे सूरज गिरफ्त में हो तेरे तू एक कदम चले तो मेरा वक्त चल पड़े ....."नीर" ©Neeraj Neer"

 White हो सकता है ये रात और चढ़े ,खामोसी और बढे 
सदियों से चुप हूँ इक तेरी आहट को सुनने के लिए 
ठहरा हूँ जैसे सूरज गिरफ्त में हो तेरे 
तू एक कदम चले तो मेरा वक्त चल पड़े ....."नीर"

©Neeraj Neer

White हो सकता है ये रात और चढ़े ,खामोसी और बढे सदियों से चुप हूँ इक तेरी आहट को सुनने के लिए ठहरा हूँ जैसे सूरज गिरफ्त में हो तेरे तू एक कदम चले तो मेरा वक्त चल पड़े ....."नीर" ©Neeraj Neer

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