Unsplash सहेजे हुए हैं निशानी किताबें । चलों ढूंढत | हिंदी Poetry

"Unsplash सहेजे हुए हैं निशानी किताबें । चलों ढूंढते हैं पुरानी किताबें । कि हर उम्र का है तसव्वुर इन्हीं में, हैं बचपन बुढ़ापा ज़वानी किताबें । कभी मुस्कराहट हैं खामोश लब की, कभी शोख आंखों का पानी किताबें । किसी इक सफ़र का है अहसास इनमें, सुनाती हैं कितनी कहानी किताबें । अकेले में होती हैं बातें इन्हीं से, हैं इक दोस्त की हमज़ुबानी किताबें । नीरज निश्चल ©Lakhnavi shayar 2.O"

 Unsplash सहेजे हुए हैं निशानी किताबें ।
चलों ढूंढते हैं पुरानी किताबें ।

कि हर उम्र का है तसव्वुर इन्हीं में,
हैं बचपन बुढ़ापा ज़वानी किताबें ।

कभी मुस्कराहट हैं खामोश लब की,
कभी शोख आंखों का पानी किताबें ।

किसी इक सफ़र का है अहसास इनमें,
सुनाती हैं कितनी कहानी किताबें ।

अकेले में होती हैं बातें इन्हीं से,
 हैं इक दोस्त की हमज़ुबानी किताबें ।

नीरज निश्चल

©Lakhnavi shayar 2.O

Unsplash सहेजे हुए हैं निशानी किताबें । चलों ढूंढते हैं पुरानी किताबें । कि हर उम्र का है तसव्वुर इन्हीं में, हैं बचपन बुढ़ापा ज़वानी किताबें । कभी मुस्कराहट हैं खामोश लब की, कभी शोख आंखों का पानी किताबें । किसी इक सफ़र का है अहसास इनमें, सुनाती हैं कितनी कहानी किताबें । अकेले में होती हैं बातें इन्हीं से, हैं इक दोस्त की हमज़ुबानी किताबें । नीरज निश्चल ©Lakhnavi shayar 2.O

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