ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजे इश्क वह गुनाह है
जो जाने अनजाने में हो ही जाता है
कसूरवार देखता है तमाशा
और अक्सर बे गुनाह सजा पता है
इश्क वो लाइलाज मर्ज है
जिसकी दावा कोई नहीं दे पता है
लूट जाती हैं दिल की बस्ती
जीवन खंडार बन जाता है
रुकते नहीं है आंखो से आसू
चैन सुकून छीन जाता है
©ashish gupta
इश्क वह गुनाह है
जो जाने अनजाने में हो ही जाता है
कसूरवार देखता है तमाशा
और अक्सर बे गुनाह सजा पता है
इश्क वो लाइलाज मर्ज है
जिसकी दावा कोई नहीं दे पता है