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तू नज़र से जुदा ही रहता है
आशिक़ो की कहां ही सुनता है
जुल्फ़े लहराके बलखाके अपनी
तू जवानी पे अपनी मरता है
रोज़ आके तु ख्वाबो मैं मेरी
नींद भी चैन भी चुराता है
लफ्ज़ दो की कहानी सुन ने को
चाहता दिल है कबसे मेरा है
तू बतादे "जु़बैर" को मिलकर
इश्क़ का जां कसूर एसा है
लेखक - ज़ुबैर खांन...........✍🏻
©SZUBAIR KHAN KHAN
nazar love shayari